सत्याग्रही पुत्र को पिता का पत्र
अमरावती के डाक्टर पाठक आपातस्थिति की कृपा से अपनी नौकरी खो बैठे थे | परिस्थिति कठिन थी | फिर भी उनके पुत्र ने सत्याग्रह किया | वह कारागार में था |
डाक्टर महोदय
ने उसे लिखा कि उन्हें सत्याग्रह का संचालन करते हुए बड़े परिश्रम उठाने पड़े अतः
तुम्हे पढाई के लिए समय न मिल सका , यह वे भली – भांति जानते थे | परिणाम की चिंता
न करे | एकाध वर्ष गवाना भी पड़ा तो कोई चिंता का विषय नही था |
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