अन्तिम विजय सत्य की
रामकृष्ण हेगड़े
बल्लारी के कारागार में थे | वहाँ से उन्होंने दिनांक 28 / 11 / 1976 को अर्कली
नारायण को यह पत्र लिखा था | यह पत्र नही , स्वयंसेवक के ह्रदय का प्रतिबिंब
दिखानेवाला दर्पण था |
उन्होंने अपने
पत्र में लिखा कि यह तो आत्मनिरीक्षण तथा आत्मशोधन का सुवर्ण अवसर ही उन्हें
प्राप्त हुआ था | सत्य के मार्ग पर अग्रसर होना और सत्य के लिए लड़ना कभी व्यर्थ
नहीं जाता | प्रत्येक की परीक्षा लेने की ईश्वर की यह एक रीति थी परन्तु यह
निश्चित था कि अंत में सत्य की विजय होगी और असत्य हारेगा |
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