Thursday, 12 December 2024

पारिवारिक पत्र : गरुड़प्पा द्वारा अपने पुत्र को लिखा पत्र

 मैं धन्य हो गया

गरुड़प्पा एक सामान्य मजदूर थे | किसी प्रकार बड़ी गरीबी में वे अपना परिवार चला रहे थे | उनका पुत्र पुलकेशी बंगलौर कारागार में भारत सुरक्षा कानून के अंतर्गत बंदी था | सामान्यतः ऐसी परिस्थिति में पिता अपने पुत्र पर बहुत नाराज होते थे | परन्तु गरुड़प्पा असामान्य थे | उन्होंने अपने पुत्र को लिखा :-

उनका ह्रदय आनंद से भर गया था | माँ और पुत्र , दोनों ने सत्याग्रह करते हुए जो देश – कार्य किया था , उसे देख वे धन्य हो गये थे | अपने देश की थोड़ी भी सेवा करने का सौभाग्य उन्हें नही मिला था | न तो उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त हुई और न उनके पास धन था | प्रारंभ से ही उनका परिवार विकट आर्थिक परिस्थिति का सामना कर रहे थे | परन्तु उनके पुत्र की इस कृति से उन्हें अपार शांति मिली थी | अब उन्हें अपने भावी जीवन की रूपरेखा बनानी चाहिए | उस समय भारत माता को बड़ी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा था | ऐसे समय में त्याग और बलिदान ही उनका कर्तव्य था | और अपने पुत्र से परिवार के प्रति उनकी कोई अपेक्षा नही थी | 

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