Thursday, 5 December 2024

पारिवारिक पत्र : माखनलालजी द्वारा अपने भाई को लिखा पत्र

 बचपन से जो स्वप्न संजोया

विदर्भ के मलकापुर निवासी माखनलालजी ने अपने भाई को यह पत्र लिखा था |

कारावास में उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ नही थी | किसी को कोई गलतफ़हमी हो गयी हो और वे वहा हो ऐसा तो हुआ नही था | वे अपनी ध्येयनिष्ठा के कारण ही वहा आये थे और यह तो वे उनका सद्भाग्य समझते थे | बचपन में जो स्वप्न उन्होंने देखा था , उसी के परिणामस्वरूप यह बंधन आ गया था | जब वे कारागार से बाहर निकलेंगे , तब उनके मन में अश्रद्धा , अवहेलना , कटुता , तिरस्कार आदि विकारो का लवलेश भी नही रहेगा , इसकी उन्हें निश्चिंतता थी |  

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