दृढ़ता रखे , सामर्थ्य बढाये
यह पत्र देवरसजी ने येरवडा ( यरवदा ) , पूना से
23 / 04 / 1976 के दिन कुशाभाऊ ठाकरे को पत्र लिखा |
उन्होंने लिखा कि वहा मध्यप्रदेश के अनेक प्रमुख
लोग थे | ठीक से विचार – मानधन होकर भविष्य के बारे में सारा विचार होगा , ऐसी
अपेक्षा थी | यद्यपि उस समय संकटावस्था थी , फिर भी इसमें से निकलने के उपरांत ,
नये जोश से , दुगने उत्साह से , ताबड़तोड़ काम में जुटना चाहिए |
उन्होंने अपने पत्र में दो श्लोक भी उल्लेखित किये :-
केला जरी पोत बल्केची खाले |
ज्वाला तरी ते वरती उफाले |
अर्थात् मशाल को जबरदस्ती नीचे करने पर भी उसकी ज्वाला ऊपर की ओर ही भभक उठती है | वैसा ही कार्यकर्ता का स्वभाव होना चाहिए |
आकाशिच्या कु – हाडी आमुछया पडोत |
आघात सोसण्याचे सामर्थ्य मात्र द्यावे |
अर्थात् हमारे सिर पर आकाश से कुल्हाड़ियो की वर्षा क्यों न हो , उसकी हमें चिंता नहीं है | बस वह आघात सहन करने का सामर्थ्य हमें प्रदान करो | ऐसी हमारी तैयारी रहनी चाहिए |
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