Wednesday, 27 November 2024

शंकरराव चव्हाण को मृणाल गोरे का पत्र

 जनता का अपमान न करे

मृणाल गोरे ने यह पत्र शंकरराव चव्हाण को लिखा था |

उन्होंने पत्र में लिखा था कि उस समय की दंभपूर्ण असत्य प्रचार – यात्रा में बुद्धिवादी लोगों को सहभागी हो जाना चाहिए – ऐसी उनकी केवल इच्छा ही नही आज्ञा थी | इंदिरा गाँधी की हुकुमशाही के सम्मुख गर्दन झुकानेवाले लोग इस देश में थे , इसका इस राष्ट्र को यथार्थ अभिमान था |

मृणाल गोरे ने एक बात की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा कि जितनी चापलूसी शंकरराव चव्हाण कर रहे थे , वे इतना अवश्य समझ ले कि जब उनकी आवश्यकता नहीं रहेगी तब किसी क्षुद्र जंतु के समान चिमटे में पकड़कर बाहर फेंक दिया जायेंगा |

अतः जब तक सिर ऊँचा कर अवज्ञा करनेवाले लोग इस देश में है , तब तक ही यह भारत कहलाने योग्य रहेगा , यह शब्द भी मृणाल गोरे के पत्र में लिखे हुए थे |

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