Monday, 25 November 2024

श्रीमती गाँधी को जयप्रकाशजी का पत्र

 प्रधानमंत्री “सहायता-निधि” से सहायता लेने से इनकार

यह पत्र जयप्रकाश जी ने श्रीमती गाँधी को 11 / 06 / 1976 को कैम्प मुंबई से  उनके डायलिसिस यंत्र खरीदने के लिए “सहायता-निधि” से जो नब्बे हज़ार रूपये भेजे गये  थे , उस संदर्भ में  लिखा था | उन्होंने श्रीमती गाँधी को विश्वास दिलाते हुए लिखा कि वे इस पत्र को अन्यथा ना ले और उनपर सौजन्यहीनता तथा कृतघ्नता का आरोप ना लगाए , उनके मन में श्रीमती गाँधी के प्रति तनिक भी निरादर की भावना नहीं थी | 

कुछ सप्ताह पूर्व प्रोफेसर पी.बी धर की सूचनानुसार राधाकृष्णजी  ने एक मित्र को भेजा था और जयप्रकाशजी से पुछवाया था कि क्या वे श्रीमती गाँधी के द्वारा दिया गया आर्थिक योगदान स्वीकार करेंगे ? उन्होंने अपनी सम्मति भी दी परुन्तु उस समय वे ये नही जानते थे कि यह पैसे उन्हें प्रधानमंत्री सहायता  निधि द्वारा दिए जाने वाला था , वे तो यही मानकर चल रहे थे कि श्रीमती गाँधी अपनी जेब से यह सहायता दे रही थी , और थोडा विचार करने पर उन्हें समझ आया कि इतनी बड़ी रकम अपनी जेब से देना संभव नही था |

उन्होंने उस समय की स्थिति समझाते हुए लिखा कि “सहायता-निधि” की राशी पहुचने से पहले ही जनता का दिया हुआ द्रव्य तीन लाख से ऊपर पहुच गया था जिससे एक डायलिसिस यंत्र और उसकी अन्य पूरक वस्तुए , तथा साल भर की आवश्यक प्रतीत होने वाली वस्तुए भी खरीद ली गयी थी | अतः अगले साल – दो साल तक प्रतिमास खर्च करने के लिए भी  , वही द्रव्य प्रर्याप्त था |

उन्होंने आगे दो मुद्दों पर रोशनी डालते हुए लिखा कि एक यह कि  समिति में  केवल छोटी रकमे स्वीकार की जाती और दूसरा यह कि “सहायता-निधि” से राधाकृष्ण जी के पास धनावेश आने के पूर्व ही आवश्यकता से ज्यादा ही  धन संग्रह हो गया था इसलिए  “ जयप्रकाश आरोग्य निधि समिति “ ने प्रकट घोषित कर निधि – संकलन बंद कर दिया था | ऐसी परिस्थिति में “सहायता-निधि” की ओर से भेजी गयी इतनी बड़ी रकम स्वीकार करना उनके लिए उचित न था |

अंत में वे लिखते है कि वे राधाकृष्ण जी को सूचित कर देंगे कि वे “सहायता-निधि” से प्राप्त धनावेश वापस लौटा दे और श्रीमती गाँधी से आग्रह भी किया कि जिन्हें इस राशी की अधिक आवश्यकता हो उनके लिए इस “सहायता-निधि” का पैसा खर्च करे | अतः वे कृतज्ञ थे , जो श्रीमती गाँधी ने उनके स्वस्थ्य के विषय में चिंता दिखाई |

 

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