Tuesday, 26 November 2024

सिनेमा कलाकारों को नानाजी देशमुख का पत्र

 कला का उपयोग देश बचाने में करे

देश की गंभीर परिस्थिति ने नानाजी देशमुख को यह पत्र लिखकर सिनेमा कलाकारों तक पहुचने के लिए बाध्य किया था क्योंकि अपने देश के इतिहास में एक बड़ा विचित्र समय आ गया था ।

नानाजी ने सिनेमा कलाकारो को मित्र कहकर संबोधित करते हुए लिखा कि उन्होंने समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त किया था और वे युवाओं के गतिनियामक भी थे | सामान्य जनता उनसे ही चाल - ढाल सीखती थी । वे विशाल जन समूह का मनोरंजन करते साथ ही जनता के मन का बोझ भी हल्का करते थे ।

नानाजी ने उनसे प्रश्न करते हुए लिखा कि क्या वे लोग अपनी दृष्टि को मनोरंजन तक सीमित रखकर जनता को केवल जीवन की समस्याओ को टालना ही सिखाएंगे ?

समय की मांग थी कि कलाकारों को निराशा के स्थान पर विचारपूर्ण आशा उत्पन्न करनी चाहिए । यदि सब कंधे से कंधा भिड़ाकर धंसे हुए पहिए को ऊपर नहीं उठाते तो संपूर्ण देश का रथ तानाशाही और विदेशी अधिकार के कीचड़ में धसकर रह जायेगा ।

श्रीमती गांधी की तानाशाही की एक विशेषता यह थी कि उसके मूल में किसी भी प्रकार का ध्येयवाद नहीं था । सत्तालालस के कारण उन्होंने अपने देश को सोवियत संघ के पंजों में बहुत अधिक फंसा लिया था । राष्ट्रभर में अब अंधेरा छाया हुआ था । तानाशाही और विदेशी पकड़ की गर्त में वह लुढ़कता हुआ चला जा रहा था ।

उनका कहना था कि यदि वे निष्क्रिय बनकर बैठे रहे तो आने वाली पीढ़ी उन सब को कोसेगी और वह न्यायसंगत भी होगा क्योंकि उस समय की निष्क्रियता आनेवाली पीढ़ियों की स्वतंत्रता को पंगु बना देगी ।

अंत में उन्होंने कलाकारो से अनुरोध भी किया कि जनता के चलाए युद्ध में वे भी सहभागी बने ।

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